सद्गुरु की सीख, निरपराध को दण्ड न मिलें
गुरुवर सप्तनाथजी नालन्दा विश्वविद्यालय के आचार्यरत्न थे, वे गुरुदेव ही नहीं, शिष्यों को ही अपना देव मानने वाले सच्चे शिष्यदेव थे, जो उनके सर्वांगीण विकास के लिए सदा सचेष्ट रहते थे। वे केवल किताबी ज्ञान नहीं प्रदान कर वास्तविक अनुभव सिद्ध ज्ञान प्रदान करने में विश्वास करते थे। कक्षा के सीमित वातावरण…